खाद्य सुरक्षा योजना में 7.5 लाख लाभार्थियों ने स्वत: नाम कटवाया, 10 लाख नए जरूरतमंद जोड़े जाएंगे, 31 जनवरी अंतिम तिथि
बीकानेर। राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ लेने वालों का वेरीफिकेशन ई-केवाईसी के जरिए हो रहा है। ई-केवाईसी के कारण न सिर्फ फर्जी लोग सामने आए बल्कि जो लोग ई-केवाईसी नहीं करा रहे उनका डाटा भी सामने आया। विभाग का अनुमान है कि प्रदेश में करीब 55 लाख लोगों में 40 लाख ने ई-केवाईसी नहीं कराई। इसलिए 31 जनवरी के बाद केवाईसी ना कराने वालों को बाहर कर 10 लाख नए लोगों को इस योजना से जोड़ा जाएगा।
दरअसल इन दिनों खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित सभी लाभार्थियों की ई-केवाईसी करवाई जा रही है। इसके लिए 31 जनवरी अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। प्रदेश में अब तक 3 करोड़ 83 लाख लोग ही ई-केवाईसी करा पाए। करीब 55 लाख लोग अभी भी ई केवाईसी नहीं करा पाए। हालांकि सरकार ने 0 से 10 साल तक के बच्चों और 70 साल से ऊपर के लोगों को ई-केवाईसी ना कराने पर भी योजना से बाहर नहीं करने का निर्णय लिया है। सूत्रों के मुताबिक 0 से 10 साल तक के करीब 11 लाख लोग हैं।
70 साल से ऊपर के करीब चार लाख 70 हजार लोग हैं। यानी इन 15 लाख लोगों को ई-केवाईसी ना होने पर भी इन्हें योजना से बाहर नहीं किया जाएगा पर 55 लाख में से बचे 40 लाख लोगों को ई-केवाईसी ना कराने पर बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। यानी इन्हें फरवरी से राशन मिलना बंद हो जाएगा। मंत्रालय से स्पष्ट आदेश है कि जरूरतमंदों की भी सूची तैयार कर उन्हें योजना से जोड़ा जाए।
7.50 लाख नाम विड्रा करने वाले और 2.50 लाख रिजर्व से जोड़ेंगे
प्रदेश की प्रत्येक राशन कार्ड की दुकान से लेकर जिला मुख्यालय तक भी होर्डिंग बैनर और पर्दे लगाए गए। उसमें लिखा गया कि अगर आप सक्षम हैं तो खुद ही खाद्य सुरक्षा योजना से हट जाएं ताकि उसकी जगह जरूरतमंद को जगह मिल सके। एक दिन पहले तक प्रदेश में करीब 4 लाख 66 हजार लोग ऐसे हैं जिन्होंने खुद विड्रा किया कि वे अब सक्षम हैं और इस योजना का लाभ नहीं ले सकते।
विभाग ने इसके लिए प्रत्येक राशन की दुकान पर फार्म उपलब्ध कराया। वो फार्म राशन की दुकान से डीएसओ के पास पहुंचते ही उसका राशन बंद कर दिया गया। इसके अलावा कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें सरकार ने चिन्हित किया कि वे इनकम टैक्स धारक हैं या वे लग्जरी सामग्री का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या अब तक करीब 3 लाख सामने आई है। ये दोनों संख्या मिलाकर साढ़ सात लाख से ऊपर जा रही है। इसके अलावा प्रदेश में पहले से इस योजना में करीब ढाई लाख की जगह खाली थी। इसलिए दोनों को मिलाकर करीब 10 लाख की जगह नए जरूरतमंदों को योजना से जोड़ा जाएगा।