राजस्थानी चिराग रिपोर्टर
बीकानेर। शहर के नामी भू-माफिया मोहन लाल राठी के फर्जी दस्तावेजों में हजारों करोड़ की सरकारी जमीनें फंसी होने के बावजूद शासन प्रशासन ने इसके खिलाफ आज तक को कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की। जबकि यह मामले लंबे समय से उछल रहे है। कानून से बखौफ इस भू-माफिया ने शहर के नजदीकी चकगर्बी, खारा, बीछवाल और एमपी नगर में सैंकड़ो बीघा सरकारी जमीन अपने और अपने परिवाजनों के नाम से नामान्तरण करवाकर बिना ले-आउट पास कराये ही अवैध कॉलोनिया बसाकर भूखण्ड बेच दिये। भू-माफिया की चकगर्बी से जुड़ी जमीनों के दस्तावेजों की पड़ताल करने पर पता चला है कि हल्का पटवारी और तहसीलदार की रिपोर्ट कब्जे जाहिर कर दिये जाने के बावजूद प्रशासन ने इसके खिलाफ कार्यवाही नहीं की। दस्तावेज खंगालने पर पता चला है कि ग्राम चकगबों के राजस्व खसरा नंबर 1266/159 के सौ बीघा जिसके पक्का बीघा साठ बनते है, जो प्रतापराम दत्तक पुत्र देवाराम आदि के नाम से अलग अलग हिस्से में है। जिसके उप निवेशन खसरा नंबर 18, 546, 556, 596 और 599 है, जो कि 76 बीघा 17 बिस्वा बनती है। जिसमें उपनिवेशन खसरा नंबर 546 तादादी पांच बीघा बक्सा वल्द खेता, 557 तादादी 13 बीघा और 14 बिस्वा बक्सा वल्द खेता के नाम से है। बाकी उपनिवेशन खसरा नंबर 18 तादाद सात बीघा 18 बिस्वा, खसरा नंबर 556 तादादी एक बीघा 12 बिस्वा, खसरा नंबर 596 तादादी चौबीस बीघा 14 बिस्वा और खसरा नंबर 599 तादादी चौबीस बीघा एक बिस्वा जमीन सरकारी दर्ज है।
लेकिन मोहन लाल राठी ने इन सभी खसरों को अपने और अपने परिवारजनों के नाम से नामान्तरण करवा लिया और खुश्बु नगर नाम से अवैध कॉलोनी काट कर बेच दी। जिससे राज्य सरकार को करोड़ों रूपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। मोहनलाल राठी के चकगर्बी में कब्जेशुदा एक जमीन के मामले में हल्का पटवारी ने दो साल पहले ही तत्कालीन तहसीलदार के समक्ष रिपोर्ट पेश कर दी। रिपोर्ट में पटवारी ने स्पष्ट लिखा कि चकगबी एवं 7 बीकेएम शहरी पैराफेरी क्षेत्र है। ग्राम चकगबीं उपनिवेशन के अधीन रहा एवं सात बीकेएम ग्राम चकगों से ही बना है। चक सात बीकेएम के मुरब्बा नंबर 77/33 में अराजीराज से सीधे खातेदारी दर्ज है। मुताबिक रिपोर्ट इस मामले में खातेदारी दर्ज करने के लिये किसी प्रकार के आदेश नहीं किये गये थे। सीधे राजकीय भूमि से खातेदारी प्रदान की गई है। खास बात तो यह रही कि एक ही जमीन को दो जगहों पर खातेदारी दर्ज की गई है, जो नियमानुसार सही नहीं होने के कारण एवं राजस्व हानि के कारण उक्त खातेदारी आदेश निरस्त करने योग्य है। ऐसे करीब ४०-४५ मामले है, जिनमें फर्जी आवंटन, गलत रूप से नामांतरण व सरकारी नियमों की ध्वजियां उड़ाकर अवैध कॉलोनियां व औद्योगिक क्षेत्र बनाकर अवैध रूप से बेच दिये गये है, जिनके मय सबूतों के रिकॉर्ड पीडि़त लोगों ने दैनिक राजस्थानी चिराग को उपलब्ध करवाये हैं, उन सभी की हमारे एक्सपर्ट से जांच करवाकर संभावित हजारों करोड़ की सरकारी जमीनों की हेराफेरी को उजागर करके भ्रष्टाचार के मामलें राज्य सरकार तक पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जायेगा।





