140 के प्लग के देने होंगे उपभोक्ता को 9500,उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला
राजस्थानी चिराग। एंकर कंपनी का 140 रुपए का प्लग 2 माह में खराब होने के कारण कंपनी को उपभोक्ता को 9500 का भुगतान करना होगा। उपभोक्ता आयोग ने कंपनी को इसके आदेश दिए हैं। कंपनी ने आयोग के सामने शपथ पत्र पेश कर अपने प्रोडक्ट्स की तारीफ करते हुए दावे को खारिज करने की बात की थी। मामला बीकानेर उपभोक्ता आयोग का है। एडवोकेट अनिल सोनी ने एंकर कंपनी पर 20 हजार रुपए का दावा किया था।
140 रुपए का था पावर प्लग
नोखा रोड पर रहने वाले एडवोकेट अनिल सोनी ने 13 दिसंबर 2022 को बीकानेर के कोटगेट पर स्थित महेश इलेक्ट्रिक से एंकर कंपनी का 140 रुपए एक पावर प्लग खरीदा था। इसके साथ उन्होंने 30 रुपए का एक वायर भी लिया था। इस पावर पर का बिल और गारंटी भी सोनी को दुकानदार ने दी थी। 2 महीने बाद 1 मार्च 2023 को पावर प्लग खराब हो गया। इसके बाद सोनी ने 2 दिन बाद 6 मार्च को इसकी शिकायत दुकानदार और कंपनी के वॉट्सऐप कस्टमर केयर पर की।। इसका समाधान ना तो दुकानदार कर पाया न ही कंपनी ने किया।
इसके बाद 14 मार्च को सोनी ने बीकानेर उपभोक्ता आयोग में परिवाद दिया। सोनी ने उपभोक्ता के अधिकारों का हवाला देते हुए एंकर कंपनी प्लग की राशि देने के साथ ही 20 हजार रुपए जुर्माना लगाने की मांग रखी थी। इसमें 10 हजार रुपए मानसिक संताप के लिए और 10 हजार रुपए केस में हुए खर्चे के देने की डिमांड रखी। 2 मई 2023 को कंपनी ने सोनी को डिफेक्टिव पावर प्लग के स्थान पर नया पावर प्लग दे दिया था।
कंपनी ने अपने प्रोडक्ट की तारीफ की थी
मामले को लेकर एंकर कंपनी के आधिकारिक सर्विस प्रोवाइडर सुरेंद्र नाथ ने उपभोक्ता आयोग के सामने शपथ पत्र दिया था। इसमें कंपनी की साख और प्रोडक्ट की तारीफ करते हुए मामले को खारिज करने की बात कही थी। इसके बाद आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने कहा- पावर प्लग और वायर की कीमत मिलाकर 170 रुपए हैं। ऐसे में 10 हजार का दावा करना ठीक नहीं। वहीं मानसिक संताप (हैरेसमेंट) के रूप में उपभोक्ता को 2500 दिए जाएं। वहीं व्यय के रूप में 5000 रुपए देने के आदेश दिए। वहीं पीड़ित 2000 रुपए पहले ही वसूल चुका है। ऐसे में 170 रुपए के प्लग-वायर के लिए 9500 का मुआवजा दिया जाए।
यह हैं नियम
जब कोई ग्राहक किसी दुकान या मॉल से कोई सामान खरीदता है और उसमें किसी तरह की खराबी आती है तो ऐसे में कोई दुकानदार खराब सामान को रिटर्न या रिप्लेस करने से इनकार नहीं कर सकता है। दुकानदार या विक्रेता खराब सामान वापस लेने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। लेकिन अगर वह ऐसा करता है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत में इसकी शिकायत कर सकता है। आयोग आपकी शिकायत को सुनकर उसका समाधान करेगा।
ये अदालतें तीन प्रकार की होती हैं।
- जिला स्तरीय अदालत यानी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण न्यायाधिकरण (DCDRF)
- राज्य स्तरीय अदालत यानी राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC)
- राष्ट्रीय स्तरीय अदालत यानी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC)
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
ग्राहक लुभावने विज्ञापनों के झांसे में आकर किसी भी प्रोडक्ट पर यकीन कर लेते हैं और कुछ भी खरीद लेते हैं। देश में कई ई-कॉमर्स साइट्स हैं, जो हर रोज करोड़ों के सामान बेचती हैं। बाजार के इस बढ़ते प्रभाव के कारण ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ रहे हैं। इसलिए हर ग्राहक को अपने अधिकार पता होने चाहिए। भारत में उपभोक्ता के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 बनाया गया है। इसका उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 उपभोक्ताओं को 6 मौलिक अधिकार देता है.
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