UPI और RuPay कार्ड यूज करने पर देना पड़ सकता है चार्ज, सरकार लगाएगी मर्चेंट फीस, क्‍या आप पर पड़ेगा असर?

UPI और RuPay कार्ड यूज करने पर देना पड़ सकता है चार्ज, सरकार लगाएगी मर्चेंट फीस, क्‍या आप पर पड़ेगा असर?

राजस्थानी चिराग। सरकार UPI ट्रांजैक्शन और RuPay डेबिट कार्ड पर मर्चेंट चार्जेस यानी फीस फिर से लागू करने पर विचार कर रही है। द इकोनॉमिक टाइम्स ने दो वरिष्ठ बैंक अधिकारियों के हवाले से इस बात की जानकारी दी है। अभी इन पेमेंट मेथड्स पर कोई मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नहीं लगाया जाता है, क्योंकि इन्हें नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) फैसिलिटी प्रोवाइड करती है। हालांकि, छोटे बिजनेस के लिए ट्रांजैक्शन को फ्री रखते हुए बड़े मर्चेंट्स पर फीस लगाने पर चर्चा चल रही है।

सरकार इस कदम पर क्यों विचार कर रही है?

एक बैंकर ने बताया कि बैंकों ने सरकार को एक फॉर्मल प्रपोजल पेश किया है। इस प्रपोजल में सुझाव दिया गया है कि MDR उन मर्चेंट्स पर लागू किया जाना चाहिए जिनका एनुअल GST टर्नओवर 40 लाख रुपए से ज्यादा है। सरकार एक टायर्ड प्राइसिंग सिस्टम शुरू करने का भी प्लान बना रही है। इस सिस्टम के तहत बड़े मर्चेंट्स को हायर चार्जेस का पेमेंट करना होगा। वहीं छोटे मर्चेंट्स को कम फीस देना होगा।

एक बैंकर ने कहा, ‘तर्क यह है कि अगर बड़े मर्चेंट्स जिनके पास कार्ड मशीनें हैं, वे वीजा और मास्टरकार्ड डेबिट कार्ड्स और सभी टाइप के क्रेडिट कार्ड जैसे अन्य पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स पर MDR का पेमेंट कर रहे हैं, तो वे UPI और RuPay डेबिट कार्ड के लिए चार्जेस क्यों नहीं दे सकते?”

MDR कैसे काम करता है और इसे क्यों हटाया गया?

2022 से पहले मर्चेंट्स को बैंकों को ट्रांजैक्शन अमाउंट का 1% से कम MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट देना पड़ता था। हालांकि, सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष-22 के बजट में इन चार्जेस को हटा दिया था। तब से UPI सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला पेमेंट मेथड बन गया है और RuPay भी काफी पॉपुलर हो गया है। इस बीच इंडस्ट्री के इंसाइडर्स का कहना है कि बड़े रीटेल मर्चेंट्स एवरेज 50% से ज्यादा पेमेंट कार्ड से करते हैं। इसलिए UPI पेमेंट पर एक स्मॉल फीस का कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।

फरवरी में 1,611 करोड़ UPI ट्रांजैक्शन हुए
फरवरी 2025 में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए 1611 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए। इस दौरान इस दौरान कुल 21.96 लाख करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर की गई। ट्रांजैक्शन की संख्या में सालाना आधार पर 33% की बढ़ोतरी हुई है।

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