राजस्थानी चिराग की खास खबर
बीकानेर। बीकानेर शहर से लगती चकगर्बी की हजारों बीघा अरबों रुपयों की जमीनों को सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी कागजातों के आधार पर नामान्तरण दर्ज करवाकर भू-माफियाओं ने सरकारी नियमों की ध्वजियां उड़ाकर आवासीय/ व्यवसायिक/औद्योगिक क्षेत्र कॉलोनियां बनाकर बेच डाली है, जिसकी समुचित जानकारी जिला प्रशासन व सरकार तक पहुंची हुई है। मगर पिछले २५ वर्षो से यह शिकायतें बीकानेर में संबंधित विभाग यूडीएच व रेवन्यू तथा जिला अधिकारियों के लिये दुध देने वाली साबित हो रही है, किसी ने भी इन शिकायतों पर निष्पक्ष जांच करवाकर अरबों रुपयों की जमीनों को भू-माफियाओं से मुक्त करवाने की बजाय फाईलों को दबाकर अपना हित साधकर सरकार के साथ विश्वासघात ही किया है।
नतीजा यह हो रहा है कि शिकायतकर्ता तो पस्त हो रहे है, और भू-माफिया बेधडक़ होकर सरकारी जमीनें निगल रहे। नीचे पटवारी से लेकर तहसील व एस.डी.एम. कार्यालय से लगाकर उपर तक मालामाल हो रहे है, इन फर्जी तरीकों से सरकारी जमीनें हड़पने के कई मामले पुलिस तक भी पहुंचते है, उनमें पुलिस भी हाथ धो रही है, आज तक जितने भी मामले पुलिस तक पहुंचे है, किसी एक भी भू-माफिया गिरोह के खिलाफ पुलिस ने अब तक सख्त कार्यवाही करके उनके हौंसले पस्त नहीं किये है, कोई बेघर जरूरतमंद रहने के लिये झौंपड़ा बनाता है, वहां तो पुलिस कार्यवाही करने तुरंत पहुंच जाती है, मगर जो यह बड़े-बड़े भू-माफियां अरबों-खरबों की सरकारी जमीनें निगल रहे है, उनको नजर अंदाज कर रही है, जबकि संविधान में भू-माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार पुलिस को है, फिर भी बीकानेर में आज तक किसी एक भू-माफिया गिरोह के खिलाफ पुलिस ने कार्यवाही करके उनको सलाखों के पीछे नहीं पहुंचाया है।
सैंकड़ो बीघा सरकारी जमीनों की कुण्डली बदल चुका है भू-माफिया मोहनलाल राठी
बीकानेर में कम से कम दस भू-माफिया गिरोह सक्रिय है, जिन्होंने चकगर्बी की हजारों बीघा जमीनों की कुण्डली बदलकर निगल चुके है, जिनमें सबसे चर्चित नाम मोहनलाल राठी व रमेश चांडक का है, इनके खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में अनेकों मामले दर्ज हो चुके है, किसी भी मामले में गिरफ्तारी तो दूर की बात है, निष्पक्ष रूप से कार्यवाही भी नहीं हुई है, और संबंधित सरकारी विभागों में मय सबूतों की शिकायतों से बनी बड़ी-बड़ी फाईलें खत्म कर दी गई है या धूल चाट रही है।
बीकानेर शहर के नामी भू-माफिया मोहनलाल राठी से जुड़े मामलों की फाईलें खंगालने पर पता चला है कि इसके महाजाल में जिला प्रशासन, राजस्व तहसील और सब रजिस्ट्रार ऑफिस के कई अफसर कार्मिक भी फंसे हुए है। जानकारी में रहे कि सरकारी जमीनों की कुण्डली बदलकर कब्जे करने में मास्टर माइण्ड मोहनलाल राठी ने शहर के नजदीक चकगर्बी समेत आस पास के इलाकों में सैकड़ो बीघा जमीने हड़प रखी है। जिनकी किमत सैंकड़ों करोड़ से ज्यादा आंकी गई है। इनमें कई जमीनें तो नगर विकास न्यास के रिकॉर्ड में दर्ज है, इन जमीनों पर नगर विकास न्यास की ओर से कई योजना प्रस्तावित है। हैरानी की बात तो यह है कि पिछले दिनों बनाये गये शहर के नये मास्टर प्लान में शामिल किये गये नजदीकी गांवों की कई जमीनों की अवैध तरीके से खरीद फरोख्त में भी मोहनलाल राठी का नाम सामने आया है। इस मामले को लेकर रियल स्टेट के कई कारोबारियों ने मोहनलाल राठी द्वारा किये गये जमीनों के घोटाले की जांच उच्च स्तरीय ऐंजेसी से कराने की मांग की है। हालांकि मोहनलाल राठी के खिलाफ जिला कलक्टर कार्यालय और तहसील मुख्यालय में शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। इसके बावजूद प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों ने महाभूमाफिया और उसके परिजनों पर कानून का शिंकजा क्यों नहीं कसा? इसे लेकर सवाल उठ रहे है।
जांच में प्रमाणित हो गया कब्जा : पता चला है कि साल 2023 में तत्कालीन जिला कलक्टर की ओर से मोहनलाल राठी के खिलाफ चकगर्बी में जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रस्तावित जलाशय के लिये एक्कायर की गई खसरा नंबर 534 में चौबीस बीघा जमीन पर नाजायज कब्जे को लेकर हुई शिकायत के बाद हल्का पटवारी और तहसीलदार की मौका मुआयना रिपोर्ट में अवैध कब्जा प्रमाणित भी हो चुका है। ऐसे में प्रशासन की ओर से मोहन लाल राठी के खिलाफ फर्जीवाड़े सरकारी जमीन पर कब्जे के संज्ञेय अपराध का पुलिस केस दर्ज करवाया जाना चाहिए था, लेकिन प्रशासन की ओर से उसके खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करवाना तो दूर उससे कब्जेशुदा जमीन भी खाली नहीं करवायी जा सकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि भूमाफिया मोहनलाल राठी ने सिस्टम के अफसरों को भी अपने फर्जीवाड़े के महाजाल में फंसा रखा है।
दस्तावेजों की हेराफेरी में माहिर है भू-माफिया मोहनलाल राठी
भू-माफिया मोहनलाल राठी की जमीनों से जुड़े दस्तावेजों में एक मामला चकगर्बी के खसरा नम्बर 1345/169 का भी सामने आया है। यह जमीन जेता बल्द दीना के नाम से दर्ज चली आ रही है, मोहन लाल राठी ने इस जमीन की पावर ऑफ अटींनी रतनी देवी का नाम से फर्जी तरिके से खातेदारी से ली, जो आज तक जमाबंदी में रतनी देवी का नाम दर्ज ही नहीं है। मोहन लाल राठी ने इस जमीन को जरिये फर्जी पावर ऑफ अटॉनी के जरिये बैनामा अपनी पत्नी के नाम करवा ली और खातेदारी एवं नामांतरण भी अपनी पनि नवलखी के नाम दर्ज करवा दिया। जो खातेदारी इंतकाल संख्या 62 वैयनामा इंतकाल 64 के द्वारा राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। यह जमीन पूर्व में जेठा वल्द दीना के नाम से सम्वत 2012 में चली आ रही है, जेठा व उसकी पत्ती रतनी देवी के जमाबंदी में जेठाराम व उसकी पती रतनी देवी के मृत्यु के बाद उनके जायज वारिस केवलराम के नाम इंजकाल पं. 469 के द्वारा अंकित है। जो गिरदावरी उपनिवेशन 424 एवं 429 एवं जमाबंदी में दर्ज है। केवलराम ने यह भूमि जरिये वैयनामा नाधी देवी पत्ती पूनमचंद माली को बेच दी तथा नाथी देवी ने यह भूमि जरिये वैयनामा मुरलीधर पुत्र मुखराम को वैय कर दी, वर्तमान में इस कृषि भूमि पर भी मुरलीधर काबिज है। परन्तु मोहन लाल राठी ने इसी खसरा नम्बर 1345/150 की आड में चक 7 बोकेएम के मुरब्बा नं. 77/33 के किला नं. 1 ता 4.7 ता 14. 17. 19 ता 23 की कुल 17 बीघा 14 बिस्वा कमाण्ड की खातेदारी अपनी पत्नी नवलखी देवी के नाम से फर्जी पावरऑफ अटोनी एवं फर्जी खातेदारी के द्वारा दर्ज करवा ली। फिलहाल यह जमीन पांच करोड़ की आंकी जा रही है, जो कि दो अलग-अलग नाम से दर्ज बताई जा रही है।





