नामी भू-माफिया राठी ने अवैध रूप से बेची करोड़ों की सरकारी जमीन, शासन – प्रशासन खामोश क्यों?
बीकानेर। बीकानेर की लाखों बीघा चकगर्बी की जमीनें तीन विभागों, पहले राजस्व फिर उपनिवेशन उसके बाद सेटलमेंट फिर वापस राजस्व के पास फुटबॉल की तरह बदलते रहने का फायदा भू-माफियाओं ने खूब उठाया है, क्योंकि चार बार रिकॉर्ड अदला-बदली होने के कारण व विभागों में आपसी सामंजस्य नहीं बैठने से काफी रिकॉर्ड खुर्द-बुर्द हो गया या भू-माफियाओं ने अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मिलकर कर दिया, यह तो जांच का विषय है, मगर भू-माफियाओं ने खूब फायदा उठाकर फर्जी टी.सी. आवंटन पत्रों व कब्जाधारी कास्तकार होने के रिकॉर्ड पेश करके चकगर्बी की हजारों बीघा जमीनों पर अपने को खातेदार साबित करके करोड़ों रूपये की जमीनें हड़प गये, यह जग जाहिर है।
वैसे तो फर्जीवाड़ा करके चकगर्बी की हजारों बीघा जमीन हड़पने में अनेकों भू-माफियाओं के नाम चर्चा में है, मगर नम्बर वन पर जस्सुसर गेट निवासी मोहनलाल राठी पुत्र मिश्रीलाल राठी ही चर्चित है, बताया जाता है कि मोहनलाल राठी जमीनों की हेराफेरी व फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड है। और इसने संबंधित विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को मायाजाल में फंसाकर लगभग पांच सौ बीघा चकगर्बी की जमीनों पर बीकानेर विकास प्राधिकरण व नगर निगम तथा आवासन मण्डल से ज्यादा कॉलोनियां बसाकर बेच डाली है।
जानकार सूत्रों के अनुसार बीकानेर की ग्राम चकगर्बी की पेरा-फेरी एरिया की सौ करोड़ से ज्यादा की सरकारी जमीन थी, उसी एरिया की जमीन को वर्ष 1990-1992 में सरकार से अधिकरण करके औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया, उसी ग्राम चकगर्बी की सरकारी जमीन को मोहनलाल राठी द्वारा कूटरचित दस्तावेजों से गलत तथ्यों के आधार पर तहसील अधिकारियों से मिलीभक्त करके वर्ष 1995 से 2007-08 तक संभावित फर्जी खातेदारी आदेशों से उक्त सरकारी भूमि अपने व अपने परिवार के नाम करवा ली। फर्जीवाड़े की हद भी लांघ कर एक जमाबंदी दो जगह अलग-अलग तरमीन खसरा में करवा ली, इस प्रकार सैंकड़ों बीघा सरकारी अराजीराज जमीन हड़पकर उन पर अवैध कॉलोनियां काटकर बचे डाली, जिसका भंडा फूटते ही अनेकों शिकायतें भी हुई, मगर भू-माफिया ने सारी शिकायतों को पैसे व राजनैतिक ताकत पर फाईलों में ही दफन करवा दी।
भू-माफिया मोहनलाल राठी कितना ताकतवर है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि मोहनलाल राठी व उसके परिवारजनों का फर्जी आधार पर आवंटित जमीनों के खसरा को बीकानेर के संभागीय आयुक्त ने जांच करके गैर कानूनी मानते हुवे बीकानेर जिला कलेक्टर को उन आवंटन व खसरा को निरस्त करके भूमि को अराजीराज करने का आदेश दिया, मगर अभी तक समुचित पालना के अभाव में संभागीय आयुक्त के आदेश फाईलों में भटक रहे है।





