एसीबी की बड़ी कार्रवाई, 10000 की रिश्वत लेते पकड़े गए वन विभाग के दो अधिकारी
राजस्थानी चिराग। राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) लगातार भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई कर रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद भ्रष्टाचार का मामला थमने का नाम नहीं ले रही है. सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अपने कर्तव्य निर्वहन के लिए भ्रष्टाचार कर रहे हैं. जबकि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने की बात कर रहा है. ऐसे में एसीबी की टीम लगातार भ्रष्ट अधिकारियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. जिसमें छोटे से छोटे सरकारी कर्मचारियों को भी छोड़ा नहीं जा रहा है. नया मामला राजधानी जयपुर से हैं जहां एसीबी ने वन विभाग के अधिकारी पर कार्रवाई की गई है.
बताया जा रहा है कि एसीबी की टीम ने वन विभाग के दो कर्मचारियों को ट्रैप कर 10000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. वहीं एसीबी की टीम अब उन कर्मचारियों के खिलाफ गहन जांच और अन्य ठिकानों पर छापेमारी करने की तैयारी कर रहे हैं.
एसीबी स्पेशल इन्वेस्टीगेशन विंग ने की कार्रवाई
एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर एसीबी स्पेशल इन्वेस्टीगेशन विंग जयपुर इकाई ने मंगलवार (28 जनवरी)को कार्रवाई करते हुए वनपाल रतिपाल सिंह और वन रक्षक ओमप्रकाश मिठारवाल चन नाका चिमनपुरा, रेन्ज नाहरगढ अभ्यारण्य, जयपुर को 10,000 रुपये रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि एसीबी स्पेशल इन्वेस्टीगेशन विंग जयपुर को एक शिकायत मिली थी कि आरोपी कर्मचारियों द्वारा उसे परेशान कर रहे हैं और दो दुकानों के निमार्ण कार्य में रूकावट नहीं डालने की एवज में 10000 रूपये रिश्वत राशि की मांग कर परेशान किया जा रहा है.
ट्रैप कार्रवाई के जरिए पकड़े गए कर्मचारी
एसीबी जयपुर के उप महानिरीक्षक पुलिस कालुराम रावत के सुपरवीजन में एसीबी स्पेशल इन्वेस्टीगेशन विंग, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, जयपुर के संदीप सारस्वत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में मय सुरेन्द्र पंचोली, उप अधीक्षक पुलिस एवं अन्य के ट्रैप कार्रवाई करते हुए आरोपी वनपाल रतिपाल सिंह और वन रक्षक ओमप्रकाश मिठारवाल को 10,000 रुपये रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है.
एसीबी की अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस स्मिता श्रीवास्तव के सुपरवीजन में आरोपियों से पूछताछ तथा कार्यवाही जारी है. एसीबी द्वारा मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत प्रकरण दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान किया जायेगा.