जमीन और संपत्ति को आधार से लिंक करने की योजना, पता चलेगा किसके पास कितनी सम्पत्ति, तैयार होगा राष्ट्रीय डेटाबेस

जमीन और संपत्ति को आधार से लिंक करने की योजना, पता चलेगा किसके पास कितनी सम्पत्ति, तैयार होगा राष्ट्रीय डेटाबेस

जयपुर। राजस्थान सरकार अब अचल सम्पत्तियों (जमीन/मकान) का डेटाबेस तैयार करवाने की कवायद में जुटी है। इसके तहत लोगों को अपनी जमीन आधार से लिंक करवानी होगी। इसके जरिए एक यूनीक लैंड आईडी बनाई जाएगी। इसमें उस व्यक्ति की अचल संपत्ति संबंधी पूरी डिटेल होगी। हालांकि ये फिलहाल ऑप्शनल होगा, इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा।
इसके पीछे का मुख्य कारण एक डेटाबेस तैयार करना है। दरअसल अभी ग्रामीण इलाकों में किसानों की जमीनों ऐसा कोई डेटा नहीं है कि किसके पास कितनी संपत्ति है। इसके तैयार होने से सरकार को अपनी हर योजना जो खासकर किसानों के लिए बनाई जाती है, उसे लागू करने में आसानी होगी। सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके इसके लिए रेवेन्यू डिपार्टमेंट को अधिकृत किया है। इसके तहत किसानों से अनुमति लेकर उसके आधार का वैरिफिकेशन करके ही उसकी यूनीक आईडी तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

वैकल्पिक होगा आधार से लिंक करवाना

वर्तमान में आधार से लिंक करवाना एक वैकल्पिक व्यवस्था होगी। अगर कोई खातेदार या व्यक्ति आधार से अपनी यूनीक आईडी को लिंक नहीं करवाना चाहेगा तो वह वोटर लिस्ट के जरिए भी उसे लिंक करवा सकता है। इसके लिए अलग भी विकल्प दिया जाएगा।

इसलिए पड़ी जरूरत

रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और जयपुर के पूर्व कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने बताया- केन्द्र और राज्य सरकार अभी किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित कर रही है। इन योजनाओं का लाभ सरकार सीधे किसानों को दे सके, इसके लिए सरकार ये यूनिक आईडी बनाना चाहती है। इस यूनिक आईडी के बनने से भविष्य में किसी तरह फर्जी बेचान या नामांतरण खुलवाने जैसी घटनाओं से भी बचा जा सकेगा।

जगरूप सिंह यादव ने बताया- इस डेटाबेस के तैयार होने से सरकार के पास ये डिटेल आ जाएगी कि किस किसान या व्यक्ति के पास अचल संपत्ति है और कितनी है। इसका ये फायदा होगा कि सरकार किसी तरह की टारगेट स्कीम का इम्प्लीमेन्ट ग्राउंड पर आसानी से कर सकेगी। क्योंकि सरकार के पास इसके जरिए डेटा तैयार होगा।

प्रदेश के निवासियों का बन रहा है हेल्थ डेटा

राज्य सरकार वर्तमान में प्रदेश के नागरिका इसी तरह का हेल्थ डेटा भी बना रही है। इसके तहत आधार के जरिए व्यक्ति का यूनिक एचआईडी नंबर जनरेट किया जाता है। इस एचआईडी नंबर में मरीज की तमाम बीमारियों का डेटा तैयार हो रहा है।

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