सांवलिया सेठ! भक्तों के चढ़ावे ने फिर रचा इतिहास, जानिए क्या है पीछे की मान्यता?
राजस्थानी चिराग। कृष्णधाम सांवलियाजी, जहां श्रद्धा और आस्था का अनमोल संगम होता है, एक बार फिर भक्तों की अटूट श्रद्धा का गवाह बना। यहां के भंडार से निकली दानराशि न केवल भक्तों की आस्था की गहराई को दिखाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि सांवलिया सेठ के प्रति लोगों की भक्ति दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
सांवलिया सेठ के दरबार में धन की गिनती का चौथा चरण भी संपन्न हो चुका है, और अब तक की राशि ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। चौथे चरण की गणना में भंडार से 17 करोड़ 29 लाख 94 हजार रुपये निकले। (sanwaliya seth) यह गिनती भक्तों के अटूट प्रेम और श्रद्धा का प्रमाण है। भंडार की गणना का पांचवां चरण गुरुवार को होगा, जिससे इस आंकड़े में और वृद्धि होने की संभावना है।
भक्ति और व्यापार का अनूठा मेल
सांवलिया सेठ का दरबार सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भक्तों की मन्नत पूरी करने का विश्वास भी है। यह माना जाता है कि जो भक्त अपने व्यवसाय में सांवलिया सेठ को पार्टनर बनाते हैं, उन्हें व्यापार में अपार सफलता मिलती है। भक्तों का यह विश्वास उन्हें भगवान का हिस्सा भंडारे में चढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
मन्नतों की चिट्ठियां भी होती हैं खास
भंडार में सिर्फ नोट और सोना-चांदी ही नहीं, बल्कि मन्नत मांगने वाली चिट्ठियां भी निकलती हैं। भक्तों का विश्वास है कि इन चिट्ठियों से उनकी हर मुराद पूरी होती है। यही कारण है कि देशभर के व्यापारी, चाहे वे गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, या पश्चिम बंगाल से हों, सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए उमड़ते हैं।
सांवलिया सेठ की बढ़ती ख्याति
सांवलिया सेठ का नाम देशभर में गूंजता है, और उनकी कृपा के किस्से भक्तों की आस्था को और मजबूत बनाते हैं। यही वजह है कि हर बार भंडार से निकलने वाला चढ़ावा नई ऊंचाइयों को छूता है