अब भी छाए हैं नाउम्मीदी के बादल! 26 घंटे से बोरवेल में भूखी-प्यासी फंसी है मासूम…अब देसी जुगाड़ का सहारा
राजस्थानी चिराग। कोटपूतली के कीरतपुरा गांव में एक तीन साल की बच्ची, चेतना, ने वह खौ़फनाक हादसा झेला जिसे देख कर दिल दहल जाता है। सोमवार को खेलते वक्त वह बोरवेल में गिर गई, और अब 24 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन मासूम की मदद के लिए प्रयास अभी भी जारी हैं। इस बेमेल संघर्ष के बीच(Kotputli Borewell Accident) प्रशासन और NDRF की टीमें हर पल संघर्ष कर रही हैं, ताकि इस बच्ची की जिंदगी को बचाया जा सके। ठंड और नमी के बावजूद, ये अधिकारी अपनी पूरी ताकत से बच्ची को बचाने के लिए जुटे हैं। यह कहानी केवल एक बच्ची की नहीं, बल्कि उस उम्मीद और संघर्ष की है जो इंसानियत की ताकत को दिखाती है।
चेतना के बचाव अभियान की स्थिति 24 घंटे बाद
कोटपूतली में बोरवेल में गिरी तीन साल की चेतना को बचाने का अभियान लगातार जारी है। 24 घंटे बाद बच्ची को लगभग 10 फीट ऊपर खींचा गया है, हालांकि वह अभी भी लगभग 140 फीट की गहराई पर अटकी हुई है। बचाव कार्य में अब पाइलिंग मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जिन्हें गुरुग्राम से मंगवाया गया है।
बच्ची को ऑक्सीजन सप्लाई दी जा रही है
चेतना को लगातार ऑक्सीजन सप्लाई दी जा रही है, इसके लिए घटनास्थल पर 3-4 एंबुलेंस तैनात की गई हैं, और डॉक्टरों की टीम भी मौजूद है। सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से बच्ची की स्थिति पर नज़र रखी जा रही है, लेकिन मिट्टी के कारण कैमरे की विज़िबिलिटी प्रभावित हो रही है।
पाइलिंग मशीनों के उपयोग से बचाव अभियान में नई उम्मीद
चेतना को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अब पाइलिंग मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वैभव शर्मा ने बताया कि गहरी और गीली मिट्टी के कारण परेशानी हो रही है, लेकिन इससे निपटने के लिए पूरी टीम लगकर बच्ची को जल्द से जल्द बाहर निकालने का प्रयास कर रही है।
देसी जुगाड़ से रातभर चली बचाव कोशिशें
सोमवार रात करीब 1 बजे रिंग रॉड और अंब्रेला तकनीक की मदद से देसी जुगाड़ के द्वारा बच्ची को बाहर निकालने की कोशिश की गई थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। NDRF के सीनियर कमांडेंट योगेश मीणा ने बताया कि रिंग बच्ची के कपड़ों में फंस गया, जिसके बाद उसे निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई।