
बीकानेर में कचरे से अटे नाले, जल्द मानसून से पहले सफाई नहीं हुई तो मुसीबत तय, देखे वीडियो
बीकानेर। मानसून का मौसम नजदीक है, लेकिन बीकानेर शहर के कई नाले अब भी गंदगी से अटे पड़े हैं। जरा सी बारिश में शहर के कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन जाती है, जिससे आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई नाले पूरी तरह कचरे और सिल्ट से भरे हैं, जिससे बारिश का पानी बाहर निकलकर सड़कों और आसपास के इलाकों में फैल जाता है।
नालों की सफाई के दावे खोखले
नगर निगम हर साल मानसून से पहले नालों की सफाई के बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन हकीकत में ये दावे बारिश की पहली बौछार में ही बेनकाब हो जाते हैं। आचार्य की बगेची और मोहता की सराय से होकर गुजरने वाला नाला पूरी तरह गंदगी से भरा है। कई जगहों पर मकान मालिकों ने नालों को कवर कर दिया है, जिससे सफाई कार्य में बाधा आती है। प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा, और न ही अतिक्रमण हटाने की कोई ठोस कार्रवाई की जा रही है। सूजानदेसर रोड पर बद्री भैरु मंदिर के पास का नाला तो ऐसा लगता है जैसे वर्षों से साफ ही नहीं हुआ।
142 नाले, 12 मुख्य नालों की हालत खराब
बीकानेर शहर में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 142 नाले हैं, जिनमें से 12 मुख्य नाले हैं जहां छोटे नाले आकर मिलते हैं। इनमें से कई नाले अतिक्रमण और कचरे के कारण पूरी तरह जाम हैं। कुछ नालों को पाटकर उनके ऊपर चैंबर बनाए गए हैं, लेकिन 50 मीटर की दूरी पर बने इन चैंबरों के बीच जमा सिल्ट और कचरा सालों से साफ नहीं हुआ। निगम अधिकारियों का कहना है कि अगर मुख्य नाले साफ हो जाएं तो जलभराव की समस्या कम हो सकती है, लेकिन छोटे नालों की सफाई का नंबर ही नहीं आता।
अतिक्रमण बना बड़ा रोड़ा
शहर के कई नालों पर अतिक्रमण ने सफाई कार्य को और जटिल बना दिया है। सुजानदेसर से खुदखुदा रोड, बेसिक स्कूल से सुजानदेसर डिस्पोजल प्वाइंट, जूस सेंटर से पुलिस लाइन, और सांसियों के मोहल्ले तक के नालों पर अतिक्रमण है। इन जगहों पर मकान और दुकानें बनाकर नालों को ढक दिया गया है, जिससे सफाई असंभव हो रही है। प्रशासन की उदासीनता के चलते ये अतिक्रमण हटाए नहीं जा रहे, और बारिश में जलभराव से हालात और बिगड़ जाते हैं।
अमृत योजना के गड्ढे बन सकते हैं खतरा
अमृत योजना के तहत शहर में सीवर लाइन और चैंबर निर्माण का कार्य चल रहा है, लेकिन अव्यवस्थित निर्माण ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। कई जगहों पर गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं, और निर्माण कार्य देरी से शुरू होता है। बारिश में ये गड्ढे खतरा बन सकते हैं। सड़कों को समतल करने और मिट्टी हटाने का काम भी नहीं हो रहा, जिससे यातायात जाम और लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है।
पिछले सालों की तरह इस बार भी मानसून में जलभराव की समस्या बरकरार है। पुरानी गिन्नाणी, पुलिस लाइन चौराहा, और सूरसागर जैसे इलाकों में आधे घंटे की बारिश भी सड़कों को तालाब में बदल देती है। सूरसागर से फर्नीचर मार्केट की ओर जाने वाली सड़क की हालत पिछले एक साल से जस की तस है। बारिश में जूनागढ़ की खाई की दीवार तक ढह चुकी है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
शहरवासियों का कहना है कि नालों की नियमित सफाई और अतिक्रमण हटाने की जरूरत है। नगर निगम को चाहिए कि वह समयबद्ध तरीके से सफाई अभियान चलाए और अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। अगर नाले साफ हों तो बारिश का पानी आसानी से निकल सकता है, और शहर को जलभराव की समस्या से निजात मिल सकती है।