जैसलमेर ट्यूबवेल हादसाः ‘पाताललोक’ से आए पानी ने 14 इंच के छेद को 35 फीट चौड़े गड्ढे में किया तब्दील, DM ने बताया आगे का प्लान
राजस्थानी चिराग। राजस्थान के जैसलमेर जिले में बीते दिनों एक ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान धरती के नीचे (पाताललोक) से आए बेहिसाब पानी ने एक्सपर्ट को हैरान कर दिया है. जैसलमेर के बाहला के 27 बीडी चक इलाके में 28 दिसंबर की सुबह करीब 6 बजे ट्यूबवेल खुदाई के दौरान हुई भूगर्भीय घटना बेहद चौंकाने वाली थी. यहां ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान धरती के नीचे से बेहिसाब पानी बाहर आया. पानी की तेज धार आस-पास में फैल गई. आलम यह हुआ कि ट्यूबवेल की खुदाई के लिए आई मशीन और ट्रक उस जगह पर अभी भी धरती के नीचे फंसी है.
29 दिसंबर से पानी और गैस का रिसाव बंद
हालांकि 29 दिसंबर की रात 11 बजे पानी और गैस का रिसाव बंद हो गया है. इस मामले को लेकर जिला प्रशासन द्वारा ऑयल एन्ड नेचरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) की टीम को घटनास्थल पर बुलाया गया था. 31 दिसंबर को ऑयल एन्ड नेचरल गैस कॉर्पोरेशन की क्राइसेस मैनेजमेंट टीम (CMT) ने घटनास्थल का मौका मुआयना किया.
31 दिसंबर को जांच के लिए पहुंची थी ओएनजीसी की टीम
जानकारी के अनुसार CMT की बड़ोदरा टीम ने 31 दिसम्बर को मोहनगढ़ के बाहला के समीप 27 बीड़ी चक में निरीक्षण कर जांच की. जिसकी एक रिपोर्ट तैयार कर जैसलमेर जिला कलेक्टर प्रताप सिंह को दी जा चुकी है. ऑयल एन्ड नेचरल गैस कॉर्पोरेशन की क्राइसेस मैनेजमेंट टीम के जीएम एएन्न गठोरिया और डीजीएम बिनोद ओरान यह रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के आधार पर जैसलमेर ने आगे का प्लान बताया है.
14 इंच की चौड़ाई में 735 फीट हुई थी खुदाई
जैसलमेर कलेक्टर को सौपी गई रिपोर्ट में जांच टीम ने ओब्ररजव के पॉइंट्स भी शामिल है.जिसमें बताया गया है कि सुरक्षा मानकों को ध्यान ना रखते हुए बिना जरूरी उपकरणों के ट्यूबवेल की खुदाई की गई. 14 इंच की बीट से 735 फीट की खुदाई हुई, जिसके बाद अचानक पानी और गैस का रिसाव शुरू हो गया. धरती के नीचे से आए बेहिसाब पानी ने 14 इंच के इस होल को 35 मीटर की चौड़ाई तक बढ़ा दिया.
बोरिंग मशीन और ट्रक पूरी तरह से गड्ढे में समा गई है. वहीं बोरवेल मशीन का ऊपरी 10 फीट हिस्सा बाहर नजर आ रहा है. वर्तमान में अब यह 18 फीट के करीब मशीन का हिस्सा बाहर दिखाई दे रहा है
धूल, मिट्टी और कीचड़ से भर चुका है आस-पास का क्षेत्र
रिपोर्ट में बताया गया है कि घटनास्थल पर पानी निकलने का कोई साक्ष्य नजर नहीं आ रहा है. हालांकि गड्डे में भरे पानी से बुलबुले निकल रहे है. यह बुलबुले थोड़ी थोड़ी देर में गैस के रिसाव के कारण उठ रहे है. वहीं गड्ढे के आसपास का क्षेत्र धूल, मिट्टी और कीचड़ से भर चुका है. ऐसे में स्थानीय लोगों को उस ट्यूबवेल के आस-पास जाने से रोका जा रहा है.
बोरिंग मशीन निकालने की कोशिश में फिर शुरू हो सकता है रिसाव
जानकारी के अनुसार सीएमटी टीम ने रिकमंड किया कि गैस ओर पानी के रिसाव रुकने का कारण बोरवेल का धस जाना या बोरिंग मशीनरी व ट्रक के गड्ढे के होल के ऊपर आ जाना है, जिससे रिसाव बन्द हुआ होगा. वहीं उन्होंने नसीहत दी है कि बोरिंग मशीन को निकालने के प्रयास नहीं करने चाहिए नहीं तो रिसाव पुनः शुरू होने की सम्भावना है.
ONGC की रिपोर्ट पर कलेक्टर बताया- 2-3 महीने तक रखी जाएगी निगरानी
रिपोर्ट में यह भी सलाह दी गई है कि गड्ढे के आसपास किसी तरह के भारी वाहन या अन्य चीज नहीं लाना चाहिए. क्योंकि अभी भी जमीन के धंसने की संभावना है. गड्ढे को पूरी तरह से पैक कर 2 से 3 महीने तक निगरानी में रखना है. उक्त जानकारी ओएनजीसी की रिपोर्ट के आधार पर जैसलमेर के कलेक्टर ने दी.
जिला कलेक्टर ने बताया अभी वहां क्रेन ले जाना खतरनाक
जिला कलेक्टर ने रिपोर्ट से जुड़े तथ्यों पर कहा कि अभी घटनास्थल को यथा स्थिति में रखा गया है, अगर मशीनरी निकलने के लिए भारी क्रेन इत्यादि का उपयोग किया जाए तो सम्भवाना है कि रिसाव वापस शुरू हो जाए. या फिर क्रेन के वजन से गड्डे के आस-पास की जमीन धसने से क्रेन भी वहीं फ़ंस भी सकता है.